गणपति वंदना

आधुनिक युग में भक्ति को ही मुक्ति का द्वार बताया गया है, आज श्री गणेश का मंगलाचार करते हुए
 भजनों के संग्रह का शुभारम्भ करते है।




ॐ गंग गणपते नमः

स्वीकार करो मेरा यह वंदन-
 हे ज्ञानेश्वर ,सुनों जग  क्रन्दन। -2
जन्म मरण के है सब बंधन
नाथ  हरो मेरे भी क्रंदन ।

बुधि -दाता,  हो तूम जग निर्माता.....।
हर जन द्वार तिहारे आता ।।2

जन्म -जन्म के दुःख बिसराता ।
कर्म पूर्ण उसका हो जाता नाम लेत जो कार्य कर जाता।


कष्ट निवारो , संसार सवारों
हे प्राणेश्वर, काज़ सवारों ।

स्वीकार करो मेरा यह वंदन-
 हे ज्ञानेश्वर ,सुनों जग  क्रन्दन । ।  2
शील , स्नेह विवेक के तूम अनुरागी
दया सिन्धु, हम तेरे अनुगामी । ।
बिगाड़े काज़ सफ़ल तूम करते,
सृष्टि को अपना बल देते।

है अतुलित प्रभू धैर्य तुम्हारा,
शरण भक्ति को तूम हो सहारा । ।



रूप मनोहर तुम्हारा स्वामी
रिधि- सिधि के तूम हो स्वामी।
स्वीकार करो मेरा यह वंदन-
 हे ज्ञानेश्वर ,सुनों जग  क्रन्दन। -2

आराधना राय "अरु"

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