गीत मैली गठरी




लाद चले मन की मैली गठरी
कौन किसे समझाये  रे, हाय रे

साफ किया तन साबुन धिस- धिस
कोरा तन चमकाय रे ---हाय रे  

मन मैला ,  मैला ही रखा कौन इसे
दिखलाये रे .......हाय रे.

कौन किसे समझाये रे, हाय रे.....

चूनर रँग ली सात रगों की छठा कितनी
बिखराए रे..........हाय रे

राग  रंग में भूले सब कुछ मन का मोल
भुलाए रे, हाय रे

कौन किसे समझाये रे, हाय रे

 घाट घाट का पानी पी कर जोगी बन कर
आए रे हाय रे.................  

 नाम लिया भगवान का कैसा निंदा कर के
आए रे हाय रे

मन मैला ना बदला "अरु "मोरा अपना धरम
गवाएं रे हाय रे

लाद चले मन की मैली गठरी
कौन किसे समझाये  रे, हाय रे

आराधना राय "अरु"









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