प्रीत ने बाँधा बंधन कैसा -----------भजन
प्रीत ने बाँधा बंधन कैसा
मीरा राधा श्याम के जैसा
रंग गई उसकी चुनरी फीकी
रोग लगा क्या प्रेम के जैसा
मीरा राधा श्याम के जैसा
रंग गई उसकी चुनरी फीकी
रोग लगा क्या प्रेम के जैसा
प्रीत ने बाँधा बंधन कैसा...................2
फागुन बीता उसका रीता
ढल गया प्रेम दिए के जैसा
रोज़ पिरोता माला के मोती
हँस करबीज़ भविष्य के बोता
ढल गया प्रेम दिए के जैसा
रोज़ पिरोता माला के मोती
हँस करबीज़ भविष्य के बोता
प्रीत ने बाँधा बंधन कैसा...................2
नयनों में जब श्यामा मुस्काए
कठिन है प्रीत को ऐसे ही जीना
कोई कजरा बन राधा को भाए
राधा का मन जब श्याम लीना
कठिन है प्रीत को ऐसे ही जीना
कोई कजरा बन राधा को भाए
राधा का मन जब श्याम लीना
प्रीत ने बाँधा बंधन कैसा...................2
गंगा जल कोई नयनों से पीता
बिष को रोज़ ही अधरों से पीता
मीरा भई जग से कैसी बेगानी
प्रेम का रस पी जग उसने जीता
बिष को रोज़ ही अधरों से पीता
मीरा भई जग से कैसी बेगानी
प्रेम का रस पी जग उसने जीता
प्रीत ने बाँधा बंधन कैसा...................2
भई दोनों श्यामा संग दीवानी
पीड सह गई विछोह की कैसी
तज गई लाज़ गिरघर कि राधा
मीरा के उर बसे श्यामा हमजोली
आराधना राय "अरु"
भई दोनों श्यामा संग दीवानी
पीड सह गई विछोह की कैसी
तज गई लाज़ गिरघर कि राधा
मीरा के उर बसे श्यामा हमजोली
आराधना राय "अरु"
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