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Showing posts from April, 2016

राम नवमी पर विशेष

राम नवमी पर    विशेष लक्ष्मण से बोले रघुवर भईया हमें बताना रे अपयश ना तू लगाना रे पूछेगी माता तेरी लक्षमण कहाँ बताओ दूँगा जवाब क्या मैं उठ के मुझे बताओ दुर्लभ है जग में तूम सा भाई सहोदर पाना रे आरधना राय  "अरु" समर्पित स्वर्गीय परम पूज्यनाना जी को   पूर्व उप - निदेशक शिक्षा बोर्ड उत्तर प्रदेश पंडित त्रिवेणी राय शर्मा 

माँ कि भेंट

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द्वार तिहारा खुला रहे माँ सज़ा रहे दरबार रे सब बिगड़ी बनाने वाली पूरी करती आस रे भोली भाली सूरत माँ कि करुणामय मुस्कान रे द्वार तिहारा खुला रहे माँ सज़ा रहे दरबार रे माँ सा कोई कहाँ जगत में निश्छल माँ का प्यार रे दुनियाँ है तेरे श्रीचरणों में साँचा तेरा नाम रे द्वार तिहारा खुला रहे माँ सज़ा रहे दरबार रे मन कि सब की जानने वाली करूँ मैं तेरा ध्यान रे ज्योति जले दिन- रैन दीये कि अम्बा तेरे प्यार में द्वार तिहारा खुला रहे माँ सज़ा रहे दरबार रे तारों की बारात सजी है जगमग जैसे थाल रे धार जहाँ गंगा कि बहती ऊँचे- ऊँचे पहाड़ रे द्वार तिहारा खुला रहे माँ सज़ा रहे दरबार रे निर्मल मन कि तू ही धनी है लक्ष्मी तेरा नाम रे ज्वालामुखी बन पाप हरे माँ दुख भंजनी तेरा नाम  रे द्वार तिहारा खुला रहे माँ सज़ा रहे दरबार रे लाख दुःख चाहे घिरे रहे माँ लेती रहूँ तेरा नाम रे लाज़ माँ तू "अरु" कि रखना तेरे दर से है आस रे द्वार तिहारा खुला रहे माँ सज़ा रहे दरबार रे आराधना राय "अरु"

सावरे

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चित्र साभार गुगल नटनागर सावरे नैना हो गए बावरे मीठी मुरलिया कि तान सुना ओ नटनागर............ जाऊं कभी यमुना तो पीछे- पीछे आए रे देख के अकेली मेरी मटकी गिराए रे कैसा ये छलिया ने जादू डाला ओ नटनागर............ किसी दिन बांसुरी मैं तेरी चुराऊँगी चूम - चूम होठों से सीने से लगाऊँगी कैसा ये मुरली ने जादू डाला ओ नटनागर............ आराधना राय "अरु"

गीत------ मैं सब हारी रे

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 चित्र साभार गुगल मैं  सब हारी रे जीवन में अपनाया तेरा नाम रे मुझे भाया नहीं कोई काम रे मैं  सब हारी रे तन से उज़ली मन कि मैली  लोभ मोह कि तृष्णा  झेली  मैं तिहारी रे  सब कुछ ही समाया तेरे धाम में  मैं तो भूल गई सारे काम रे मैं  सब हारी रे आती- जाती साँस भी तेरी  पाती - लिखू मैं नाम कि तेरी  भई मतवाली रे तूने है पिलाया ऐसा जाम रे जग आया नहीं मेरे काम रे आराधना राय "अरु"

दुनियाँ ही संवर जाए

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साईं जिसे मिल जाए  दुनियाँ ही संवर जाए सर रख के चरणों में जीवन ही संभल जाए,............................1 वो दीप जला मन में अंधकार ही मिट जाए साईं तेरे दर पर ही मुक्ति मुझे मिल जाए साईं जिसे मिल जाए दुनियाँ ही संवर  जाए..........................2 दुःख दर्द  ज़माने का क्या तुझ को दिखलाए आँसूं जो छलकते है तेरे चरणों कि रज पाए साईं जिसे मिल जाए दुनियाँ ही संवर  जाए................................3   बैर- भरम मन के  अब लेके किधर जाए  मन मैल भरा अपना  गंगा से क्या नहलाए साईं जिसे मिल जाए दुनियाँ ही संवर  जाए................................4    मिट्टी के खिलौने है  मिट्टी में  मिल जाए  माट्टी का घड़ा मन का  तेरे  प्रेम से भर जाए साईं जिसे मिल जाए  दुनियाँ ही संवर  जाए................................5 कोई राम बना पूजे कोई श्याम बना पूजे साईं संत अनोखा सा मेरे मन में बस जाए साईं जिसे मिल जाए  दुनियाँ ही संवर  जाए................................6 पानी से जलते दीपक  उस दर पर सभी जाए दुख अपने रो -रो कर साईं  तुझ को बतलाए साईं जिसे मिल

साईं अपनों मन बसा

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साभार गुगल साईं  अपनों मन बसा इत- उत  खोजने जाए रूप कि गागर भर चली कितने भरम दिखाए. साईं  अपनों मन बसा...............................................2 मोल लगा  निरी माट्टी का जग पगला हुआ जाए. क्या करूँ  इन नयनं का जो तेरा दरस ना पाए. साईं  अपनों मन बसा.................................2 सकल  प्याला प्रेम का परम बना पी जाए. कैसी लम्बी डोर ये उलझी- सुलझी जाए. साईं  अपनों मन बसा.................................2 साईं,बैठी सब हार कर सुझा कुछ ना जाए. देख रही हूँ प्रभू तम्हें मन को दिया बना साईं  अपनों मन बसा.................................2 जग का मोह चला गया  घट - घट वो ही समाए..  कण- कण  रमता साईं है  देखत  नयन तर जाए साईं  अपनों मन बसा.................................2 सब कर्मो का खेल "अरु" जीवन इसमें जाए गया समय आता नहीं अब काहे पछताए. साईं  अपनों मन बसा.................................2 आराधना राय "अरु"

चेत्र नवरात्र

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  माँ तूम प्रेम की धारा  सकल विश्व ही हारा  माँ तूम प्रेम कि  धारा................................................2  मन में प्रकाश तुम्हारा सृष्टि रूप तूमने धारा.. ज्ञान सत्व से नहलाती अनुपम प्रेम है तिहारा, माँ तूम प्रेम की धारा...................................................2 प्रथम पूजे संसार तुम्हें श्रृंगार धरती करें तिहारा नव शक्ति, मान तुम्हीं हो  निसदिन  लेते नाम तुम्हारा माँ तूम प्रेम कि धारा.........................................................2 स्वर का हर नाद तुम्ही हो                ब्रहम- वादिनी,  सत्यवादिनी श्वेत दुग्ध सी धार तुम्ही हो तूम ही अदि तुम्ही में अंत जन्म - जन्म का सार  तुम्हीं हो माँ तूम प्रेम कि धारा.........................................................2