माँ कि भेंट
द्वार तिहारा खुला रहे माँ
सज़ा रहे दरबार रे
सब बिगड़ी बनाने वाली
पूरी करती आस रे
भोली भाली सूरत माँ कि
करुणामय मुस्कान रे
द्वार तिहारा खुला रहे माँ
सज़ा रहे दरबार रे
माँ सा कोई कहाँ जगत में
निश्छल माँ का प्यार रे
दुनियाँ है तेरे श्रीचरणों में
साँचा तेरा नाम रे
द्वार तिहारा खुला रहे माँ
सज़ा रहे दरबार रे
मन कि सब की जानने वाली
करूँ मैं तेरा ध्यान रे
ज्योति जले दिन- रैन दीये कि
अम्बा तेरे प्यार में
द्वार तिहारा खुला रहे माँ
सज़ा रहे दरबार रे
सज़ा रहे दरबार रे
तारों की बारात सजी है
जगमग जैसे थाल रे
धार जहाँ गंगा कि बहती
ऊँचे- ऊँचे पहाड़ रे
द्वार तिहारा खुला रहे माँ
सज़ा रहे दरबार रे
निर्मल मन कि तू ही धनी है
लक्ष्मी तेरा नाम रे
ज्वालामुखी बन पाप हरे माँ
दुख भंजनी तेरा नाम रे
द्वार तिहारा खुला रहे माँ
सज़ा रहे दरबार रे
लाख दुःख चाहे घिरे रहे माँ
लेती रहूँ तेरा नाम रे
लाज़ माँ तू "अरु" कि रखना
तेरे दर से है आस रे
द्वार तिहारा खुला रहे माँ
सज़ा रहे दरबार रे
आराधना राय "अरु"
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