गुगलसाभार आध्यात्म कहता है राधा ही कृष्ण थी कृष्ण राधा कैसे इसी प्रश्न को राधा ने भी दोहराया था सबसे बड़ा है प्रश्न कौन है हम परिदृश्य-----श्याम वर्णी सो रहे थे, मंद मंद से समीर में खो रहे थे, भोर का प्रथम आगमन था, वहाँ कलियों ने मुख ना देखा था , गोपियाँ कलियों ने मुख ना देखा था । झरझर करती नीलमा आई मुख देख कृष्णा का लजाई । 'अरु' श्यामा मुख चुम आई तीखे बयन सब सुन आई । राधा संवाद -- राधा बोली क्या मैं राधा बन आई सखि कान्हा बोले- तू मेरी बाला है,राधा है ,सीता के बिन,राम नही तो तू राधा,सीता- सखी, मेरी बाला है । मेरे अंतरमें राधा ,तू कार्य रूप शक्ति है प्रेम है पर मेरे ही अंतस की ज्वाला है, राधा त