गीत नाट्य काव्यात्मक संवाद
गुगलसाभार
आध्यात्म कहता है राधा ही कृष्ण थी कृष्ण राधा कैसे
इसी प्रश्न को राधा ने भी दोहराया था
सबसे बड़ा है प्रश्न कौन है हम
परिदृश्य-----श्याम वर्णी सो रहे थे,
मंद मंद से समीर में खो रहे थे,
भोर का प्रथम आगमन था,
वहाँ कलियों ने मुख ना देखा था,
गोपियाँ कलियों ने मुख ना देखा था।
झरझर करती नीलमा आई
मुख देख कृष्णा का लजाई।
'अरु' श्यामा मुख चुम आई
तीखे बयन सब सुन आई।
राधा संवाद -- राधा बोली क्या मैं राधा बन आई सखि
कान्हा बोले- तू मेरी बाला है,राधा है ,सीता के बिन,राम नही तो तू राधा,सीता- सखी, मेरी बाला है।
मेरे अंतरमें राधा ,तू कार्य रूप शक्ति है प्रेम है पर मेरे ही अंतस की ज्वाला है, राधा तू शक्ति रुपनी परम प्रीत कि ज्वाला है।
बात अजब थी और निराली राधा ने हंस कर दोहराया सखि स्याम रंग में पी से चुराई, गोपी बनी माँ यशोधरा
मेरा ही मुख चुम आई।
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------राधा दुसरे दिनफ़िर चली आई।
बदरा बीच बिजुरिया चमके निर्मल जल लाता है
बिन साजन अब कौन डगरिया में हो गई बावरिया
राधा प्रेम दीवानी राधा
राधा प्रेम दीवानी राधा
छलके है नयनो से पानी
प्रीत हिया की पी कि ठानी
राधा जल है जल में पानी
सात गगरिया लेकर आई
झलकाती है पानी री राधा
आध्यात्म कहता है राधा ही कृष्ण थी कृष्ण राधा कैसे
इसी प्रश्न को राधा ने भी दोहराया था
सबसे बड़ा है प्रश्न कौन है हम
मंद मंद से समीर में खो रहे थे,
भोर का प्रथम आगमन था,
वहाँ कलियों ने मुख ना देखा था,
गोपियाँ कलियों ने मुख ना देखा था।
मुख देख कृष्णा का लजाई।
'अरु' श्यामा मुख चुम आई
तीखे बयन सब सुन आई।
राधा संवाद -- राधा बोली क्या मैं राधा बन आई सखि
कान्हा बोले- तू मेरी बाला है,राधा है ,सीता के बिन,राम नही तो तू राधा,सीता- सखी, मेरी बाला है।
मेरे अंतरमें राधा ,तू कार्य रूप शक्ति है प्रेम है पर मेरे ही अंतस की ज्वाला है, राधा तू शक्ति रुपनी परम प्रीत कि ज्वाला है।
बात अजब थी और निराली राधा ने हंस कर दोहराया सखि स्याम रंग में पी से चुराई, गोपी बनी माँ यशोधरा
मेरा ही मुख चुम आई।
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------राधा दुसरे दिनफ़िर चली आई।
बदरा बीच बिजुरिया चमके निर्मल जल लाता है
बिन साजन अब कौन डगरिया में हो गई बावरिया
राधा प्रेम दीवानी राधा
राधा प्रेम दीवानी राधा
छलके है नयनो से पानी
प्रीत हिया की पी कि ठानी
राधा जल है जल में पानी
सात गगरिया लेकर आई
झलकाती है पानी री राधा
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