तेरी मुरलिया सुन
साभार गुगल
प्रसंग---- कान्हा जब बिरज छोड़ जाते है
तेरी मुरलिया सुन कर राधा लोक ये भूल चली
मधुबन में सखि राधा प्यारी मन को छोड़ चली
श्याम सखि अब कौन पुकारे कान्हा जल बिंदु बने
होठों पर हँसी आई की तूम से हर आस जुड़ी पाई
करुणमयी बादल सा कभी लगे माँ के आँचल सा
पागल मनवा रीत ना जाने अजब सी प्रीत भरे
तड़प के बोले बोल कोयलिया श्यामा क्या रंग भरे
काला सधन मेध ये बोले, कैसो - कैसो दरस मिले
आराधना राय
कान्हा की bansi तो बजती है और जिसको सुनाई देती है वो खो जाता है ... प्रेम मय सुंदर रचना ...
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